कांकेर :-डबल इंजन की सरकार में भ्रष्टाचार खत्म करने के बड़े-बड़े दावों के बीच एक बार फिर कमीशनखोरी का खेल उजागर हुआ है। कांकेर जिले के दुर्गुकोंदल ब्लॉक में एक शासकीय भवन की मरम्मत को लेकर इंजीनियर और ठेकेदार के बीच पैसों के लेन-देन का वीडियो वायरल हो गया है, जिससे शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया है। वीडियो के सार्वजनिक होते ही सब इंजीनियर बुधपाल वासनिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
कमीशन को लेकर खुला झगड़ा
मामला मावा मोदोल स्थित शासकीय लाइब्रेरी भवन की मरम्मत का है, जिसमें ठेकेदार और सब इंजीनियर के बीच भुगतान और कमीशन को लेकर पंचायत प्रतिनिधियों के सामने तीखी बहस और गाली-गलौज तक हुई। वायरल वीडियो में इंजीनियर को ठेकेदार को रुपये लौटाते हुए भी देखा जा सकता है, जो खुद इस लेन-देन की पुष्टि करता है। यह घटना सरकारी निर्माण कार्यों में पारदर्शिता की भारी कमी और सिस्टम में गहरे बैठे भ्रष्टाचार को उजागर करती है। जिस उद्देश्य से सरकारें पारदर्शिता और जवाबदेही के नारे देती हैं, वह इस प्रकरण में खोखले प्रतीत होते हैं।
वीडियो के वायरल होते ही जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी हरेश मंडावी ने कार्रवाई करते हुए सब इंजीनियर को निलंबित कर दिया। मंडावी ने स्पष्ट किया कि सरकारी कार्यों में किसी भी तरह की अनियमितता या भ्रष्ट आचरण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आगे जांच कर अन्य दोषियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
घटना के बाद सोशल मीडिया पर कुछ लोग इंजीनियर के बचाव में उतर आए हैं, और इसे ठेकेदार द्वारा रची गई साजिश बता रहे हैं। हालांकि वायरल वीडियो में दोनों के बीच कमीशन को लेकर साफ-साफ विवाद होता दिखाई दे रहा है, जिससे मामले की गंभीरता पर कोई संदेह नहीं रह जाता।
अब सवाल यह है कि क्या यह मामला वास्तव में जांच के बाद न्याय की दिशा में आगे बढ़ेगा, या फिर यह भी पिछले मामलों की तरह समझौते और दबाव में समाप्त हो जाएगा? इस प्रकरण ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि भ्रष्टाचार पर केवल भाषणों से नहीं, कठोर कार्रवाई से ही लगाम लग सकती है।
यह घटना केवल एक इंजीनियर और ठेकेदार के बीच का विवाद नहीं, बल्कि उस व्यवस्था का पर्दाफाश है जहां “काम से पहले दाम” की संस्कृति बन चुकी है। जरूरत है शासन की ओर से स्पष्ट और कठोर संदेश देने की ताकि सरकारी योजनाएं जनता तक पूरी ईमानदारी से पहुंच सकें।
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