कांकेर:-विष्णु सरकार के सुशासन के दावों के बीच कांकेर जिले में अवैध रेत कारोबार एक बार फिर सुर्खियों में है। जिले के चारामा ब्लॉक में भाजपा नेताओं के बीच रेत के कारोबार को लेकर चल रही आपसी वर्चस्व की लड़ाई अब सार्वजनिक मंच पर आ चुकी है। इस सियासी संघर्ष का ताजा अध्याय है भाजपा मंडल अध्यक्ष का एक वीडियो, जिसमें उन्हें सरकारी रेस्ट हाउस में शराब पीते देखा जा रहा है। यह वीडियो चोरी-छिपे बनाया गया और फिर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। भाजपा मंडल अध्यक्ष नेता की वीडियों वारयल होने पर सूत्रों की मानें तो यह वीडियो केवल एक नैतिक मुद्दा नहीं, बल्कि भाजपा की आंतरिक गुटबाजी का परिणाम है। आरोप है कि पार्टी के ही कुछ असंतुस्ट भाजपा युवा नेताओं से वीडियो बनवाकर वायरल किया है। बताया जा रहा है कि इस कथित “राजनीतिक पटकथा” के लेखक कांकेर और चारामा से जुड़े दो वरिष्ठ नेताओं के इशारे पर काम कर रहे थे, जबकि क्रियान्वयन स्थानीय स्तर पर दो भाजपा युवा नेताओं ने अमलीजामा पहनाकर किया है। इन युवाओं को इस बार भी न तो संगठन में कोई पद मिला, न ही रेत कारोबार में दखल की इजाज़त। ऐसे में चारामा ब्लॉक में वर्चस्व स्थापित करने के लिए यह सुनियोजित हमला किया गया है।
भाजपा नेताओं की अंदरूनी लड़ाई अब सड़क पर
यह कोई पहला मौका नहीं है जब इन युवा भाजपा नेताओं ने अपने ही नेता के खिलाफ मोर्चा खोला हो इसके पूर्व में भी इन युवा नेताओं ने रेत कारोबार के विवादों में रहे हैं। यहां तक कि एक दबंग भाजपा नेता के वाहन को भी दूसरे जिले में पुलिस कार्यवाही के जरिए फंसाने की कोशिश की जा चुकी है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा जोरों पे है कि इन चारों नेताओं ने मिलकर एक आदिवासी महिला जनप्रतिनिधि का हस्ताक्षरयुक्त लेटरहेड भी अपने पास रख हुआ है, जिसका उपयोग वे अपने फायदे के लिए समय समय पर करते रहते हैं जबकि संबंधित महिला प्रतिनिधि इस बात से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं।
भाजपा में भूचाल, सुशासन पर सवाल
चारामा में भाजपा नेताओं की आपसी गुटबाजी और अवैध रेत कारोबार पर कब्जे की यह लड़ाई अब पार्टी की साख पर ग्रहण बन गई है। मंचों पर मुस्कराते चेहरे असल में एक-दूसरे की जड़ें काटने में लगे हैं। मर्यादाएं टूट चुकी हैं और यह सियासी जंग अब अखबारों की सुर्खियों और सड़कों पर चर्चाओं का विषय बन गई है। अब देखना यह है कि पार्टी नेतृत्व और प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं। क्या रेत माफियाओं पर लगाम लगेगी, या यह गुटबाजी यूं ही जिले की राजनीति और सामाजिक माहौल को प्रदूषित करती रहेगी?
मंडल अध्यक्ष बोले: “यह चरित्र हत्या है”
जब Page 16 ने भाजपा मंडल अध्यक्ष से इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा,
“यह मेरी राजनीतिक छवि को धूमिल करने की साजिश है। पार्टी के ही कुछ लोग, जो मुझसे अवैध कार्यों को संरक्षण चाहते हैं, वे ही इस साजिश के पीछे हैं। मैं यह मुद्दा पार्टी फोरम में उठाकर दोषियों को बेनकाब करूंगा।”
विपक्ष ने साधा निशाना
कांग्रेस के महासचिव सुनील गोस्वामी
“भाजपा की यह गुटबाजी यह दर्शाती है कि सुशासन के नाम पर सरकार की नदियों की रेत किस तरह लूटी जा रही है। भाजपा के नेता अब एक-दूसरे की छवि मिटाने पर उतारू हैं।”
शिवसेना प्रदेश महासचिव चन्द्रमौली
“यह केवल एक राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि मर्यादाओं का उल्लंघन है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कठोर कार्रवाई करे।”
रेत कारोबार अब कांकेर जैसे आदिवासी बहुल जिले में केवल आर्थिक नहीं, राजनीतिक शक्ति का भी बड़ा माध्यम बन चुका है। यह प्रकरण केवल भाजपा की अंदरूनी राजनीति का मामला नहीं, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और सुशासन के दावों पर भी एक गंभीर प्रश्नचिन्ह है। देखना होगा कि पार्टी और शासन इस सियासी धूल को कैसे झाड़ते हैं, या आने वाले समय में यह रेत की तरह और गहराता जाएगा।
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