कांकेर:- प्रदेश में चिकित्सा विभाग की ओर से जारी एक आदेश को लेकर शिवसेना ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। शिवसेना के प्रदेश महासचिव चंद्रमौली मिश्रा ने कहा है कि चिकित्सा विभाग ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को पत्र जारी कर किसी भी सूचना या जानकारी देने के लिए केवल अधिकृत व्यक्ति को ही अधिकृत किया है और अस्पताल व मरीजों से संबंधित किसी भी प्रकार की खबरें मीडिया में प्रकाशित करने पर रोक लगाने की बात कही गई है। इस पर शिवसेना ने प्रदेश सरकार पर तीखा सवाल दागा है।
चंद्रमौली मिश्रा ने कहा कि चिकित्सा विभाग आखिर क्या छुपाना चाहता है? ऐसा क्या घोटाला या अनियमितता हो गई है कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ—मीडिया—पर पाबंदी लगाने की नौबत आ गई? उन्होंने कहा कि यह निर्णय लोकतंत्र की भावना और पारदर्शिता के खिलाफ है और यह चिकित्सा विभाग की नाकामी और भ्रष्टाचार को छुपाने का प्रयास प्रतीत होता है।
शिवसेना ने प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से इस मामले में दखल देने और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। साथ ही, ऐसा आदेश जारी करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की अपील की है।
मामले को लेकर प्रदेश के पत्रकार संगठनों और नागरिक समाज में भी चिंता जताई जा रही है। सभी का कहना है कि सूचना देने की प्रक्रिया पर रोक लगाना पारदर्शिता खत्म करने जैसा है और यह सीधे जनता के अधिकारों पर प्रहार है।
फिलहाल प्रदेश सरकार या चिकित्सा विभाग की ओर से इस पूरे विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। मीडिया और जनप्रतिनिधि अब मुख्यमंत्री की पहल का इंतजार कर रहे हैं ताकि चिकित्सा विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बनी रहे।
शिवसेना महासचिव ने कहा,
“आज प्रदेश के शासकीय अस्पतालों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। अधिकांश अस्पतालों में पर्याप्त डॉक्टर नहीं हैं, मशीनें खराब पड़ी हैं, जरूरी दवाइयों की कमी है और टेक्नीशियन की अनुपलब्धता आम हो गई है। ऐसे में आम जनता को मजबूरन प्राइवेट अस्पतालों का रुख करना पड़ता है, जहां वे आर्थिक शोषण का शिकार हो रहे हैं।”
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