सचिव के आदेश के बावजूद नहीं थमा रहा रेत उत्खनन का अवैध कारोबार

खनिज साधन विभाग के सचिव पी. दयानंद ने कुछ दिन पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रमुख जिलों के कलेक्टरों और खनिज अधिकारियों की बैठक लेकर रेत माफियाओं पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उनका स्पष्ट निर्देश था कि रेत के अवैध खनन और परिवहन में संलिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा न जाए और निर्माण कार्यों के लिए कानूनी रूप से रेत की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। लेकिन भानुप्रतापपुर के सटेली और गुलालबोड़ी में कार्रवाई के बावजूद, रेत माफिया एक बार फिर सक्रिय हो गए हैं। चिहरो नदी क्षेत्र में फिर से अवैध रेत उत्खनन शुरू होने की खबरें, शासन के आदेशों को सीधी चुनौती देने जैसी स्थिति बना चुकी हैं।
अवैध रेत उत्खनन और परिवहन के मुद्दे पर कांग्रेस और प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति बन हुई है। विधायक द्वारा अवैध उत्खनन की ओर इशारा किए जाने के बाद प्रशासन ने कार्रवाई तो की, मगर यह प्रभावी नहीं रही। अब सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासनिक कार्यवाही केवल दिखावा थी या रेत माफिया को किसी राजनीतिक संरक्षण का भरोसा है….?
भानुप्रतापपुर में रेत उत्खनन के मुद्दे ने राजनीतिक रंग पकड़ लिया है। आम आदमी पार्टी सहित अन्य दल ने भी भाजपा और कांग्रेस दोनों पर मिलीभगत के आरोप लगाए हैं। जनता के बीच यह चर्चा आम है कि अगर सचिव स्तर से आदेश जारी होने के बावजूद रेत उत्खनन जारी है, तो इस अवैध व्यापार को संरक्षण कौन दे रहा है?
चिहरो नदी क्षेत्र में हो रहा अवैध रेत उत्खनन सरकार के निर्देशों और प्रशासनिक तंत्र की विफलता का स्पष्ट संकेत है। जब तक स्थानीय स्तर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं दिखाई जाती, तब तक यह अवैध कारोबार यूं ही फलता-फूलता रहेगा।
अब देखना यह है कि क्या शासन और प्रशासन मिलकर रेत माफियाओं के खिलाफ कोई निर्णायक कदम उठाएंगे, या यह मामला भी अन्य कई मामलों की तरह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक ही सीमित रह जाएगा।
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