
कांकेर:- महंगाई और दिखावे की दौड़ के इस दौर में जब हर कोई आधुनिकता की चकाचौंध में डूबा है, ऐसे समय में कांकेर जिले के मुसुरपुट्टा गांव में एक विवाह समारोह ने समाज को एक नई सोच और पुरानी संस्कृति की याद दिला दी। यहां एक अनोखी शादी चर्चा का विषय बन गई, जब कश्यप परिवार के दूल्हे ने दुल्हन को लेने बैलगाड़ी से बारात निकाली।
दूल्हा, जो पेशे से बस चालक है, ने शोर-शराबे और महंगे साधनों को दरकिनार कर परंपरागत ढंग से बैलगाड़ी में सवार होकर अपनी बारात निकाली। यही नहीं, उनके साथ बारात में शामिल गांववाले भी पांच बैलगाड़ियों में सवार होकर बारात में रवाना हुए। यह दृश्य न सिर्फ देखने वालों के लिए आकर्षक था, बल्कि भावनात्मक भी—क्योंकि इसने गांव के बुजुर्गों को पुराने समय की यादों से जोड़ दिया।
गांव में जैसे ही बैलगाड़ियों से सजी यह बारात निकली, लोगों के चेहरे खुशी से खिल उठे। बच्चे, युवा और बुजुर्ग – सभी इस दृश्य को देखकर रोमांचित हो उठे। बैलगाड़ियों पर पारंपरिक सजावट और ढोल-मांदर की थाप से वातावरण में एक अलग ही ऊर्जा फैल गई।
इस विवाह ने यह संदेश दिया कि सादगी में भी भव्यता छिपी होती है, और जब समाज अपनी जड़ों की ओर लौटता है, तो संस्कृति अपने आप जीवित हो उठती है।
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