सरकार से शांति प्रक्रिया के लिए अपील
बस्तर:- छत्तीसगढ़ के माड़ डिविजन में सक्रिय भाकपा (माओवादी) इकाई ने अपने पोलिट ब्यूरो सदस्य कामरेड सोनू के नेतृत्व में लिए गए सशस्त्र संघर्ष त्यागने के निर्णय का समर्थन किया है। डिविजनल कमेटी ने एक बयान जारी कर कहा है कि बदलते हालात को देखते हुए अब संगठन जनता के बीच रहकर शांतिपूर्ण तरीके से काम करेगा।
डिविजनल कमेटी की सचिव ‘सणीता’ द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि देश और दुनिया में बदलती परिस्थितियों के अनुरूप पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को आवश्यक बदलाव करने में देरी हुई, जिससे आंदोलन कमजोर हुआ और जनता की भागीदारी में गिरावट आई। बयान में यह भी स्वीकार किया गया कि अतीत में आंदोलन को मजबूत करने के कई अवसर मिले, लेकिन उनका उपयोग नहीं हो सका।
कमेटी ने कहा कि अब परिस्थितियों को देखते हुए सशस्त्र संघर्ष छोड़ने का निर्णय लिया गया है और जनसंगठनों के माध्यम से जनता के बीच काम किया जाएगा। साथ ही, संगठन ने राज्य सरकारों से अपील की है कि दमन अभियानों को कुछ समय के लिए रोका जाए, ताकि पार्टी कार्यकर्ताओं को निर्णय समझाने और शांतिपूर्ण पुनर्गठन का कार्य पूरा करने में मदद मिल सके।
माओवादी नेताओं ने दावा किया कि माड़ इलाके में किसी भी गैर-कानूनी गतिविधि को बंद करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। संगठन ने आश्वासन दिया कि 15 अक्टूबर तक इस प्रक्रिया को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
पिछले कुछ महीनों में नक्सल गतिविधियों में कमी और आत्मसमर्पण की घटनाओं के बीच यह बयान माओवादी संगठन के भीतर संभावित वैचारिक बदलाव का संकेत माना जा रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह निर्णय व्यवहारिक रूप से लागू होता है तो बस्तर क्षेत्र में लंबे समय से जारी हिंसा को समाप्त करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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