
भानुप्रतापपुर:- कांकेर जिले के दुर्गुकोंदल ब्लॉक की सटेली नदी में बीते चार दिनों से अवैध रेत उत्खनन का मामला गरमाया हुआ है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार यह कार्य चारामा क्षेत्र के एक भाजपा कार्यकर्ता द्वारा किया जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस गंभीर मामले पर न तो प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई की गई है, और न ही विपक्ष में बैठी कांग्रेस के विधायक या उनके कार्यकर्ता कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
न्याय की उम्मीद लेकिन कार्रवाई नहीं
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अवैध उत्खनन खुलेआम हो रहा है, लेकिन प्रशासन मौन है। आरोप हैं कि संबंधित अधिकारी मोटे कमीशन के बदले कार्यवाही से परहेज कर रहे हैं। इससे न केवल सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की हानि हो रही है, बल्कि यह अवैध कारोबार क्षेत्र में भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोपों को भी जन्म दे रहा है।
नदी का कटाव और किसानों की चिंता
रेत उत्खनन का सीधा असर नदी के किनारे बसे किसानों की ज़मीन पर भी देखा जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जितना ज्यादा रेत निकाली जाएगी, नदी का तल गहराता जाएगा, जिससे किनारों का कटाव बढ़ेगा और खेती योग्य भूमि को नुकसान पहुँचेगा। स्थानीय किसान का कहना है, “हमारा खेत नदी के पास है। हर साल थोड़ा-बहुत कटाव होता था, लेकिन अब जबसे रेत का अवैध उत्खनन शुरू हुआ है, नुकसान दोगुना हो गया है। हमें डर है कि आने वाले समय में हमारी जमीन ही बह जाएगी।”
विपक्ष की चुप्पी पर भी सवाल
सामान्यतः विपक्ष इन मुद्दों पर सरकार को घेरने का काम करता है, लेकिन इस प्रकरण में कांग्रेस के स्थानीय विधायक व कार्यकर्ता पूरी तरह से मौन हैं। इससे लोगों के बीच यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस अवैध कारोबार में राजनीतिक मिलीभगत भी शामिल है…?
प्रशासन की निष्क्रियता या मिलीभगत…?
वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट है कि स्थानीय प्रशासन और खनिज विभाग की निष्क्रियता भी इस समस्या को बढ़ावा दे रही है। यदि समय रहते कार्यवाही नहीं की गई, तो यह मामला न केवल पर्यावरणीय संकट बन सकता है, बल्कि स्थानीय लोगों का प्रशासन से विश्वास भी डगमगा सकता है। सटेली नदी में जारी रेत का अवैध उत्खनन केवल कानून व्यवस्था का उल्लंघन नहीं, बल्कि कृषि, पर्यावरण और सरकारी राजस्व के लिए भी गंभीर खतरा है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस विषय पर कब तक चुप्पी साधे रहते हैं, या वास्तव में कोई ठोस कदम उठाते हैं।
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