अधिवक्ता डाकेश्वर सोनी की याचिका पर फैसला
कांकेर:– नजूल भूमि और राष्ट्रीय राजमार्ग की जमीन पर बनाए गए व्यवसायिक काम्प्लेक्स को लेकर हाई कोर्ट ने 120 दिनों के भीतर कार्रवाई करने के स्पष्ट निर्देश जिला प्रशासन को दिए हैं। यह फैसला अधिवक्ता डॉ. डाकेश्वर सोनी द्वारा वर्ष 2023 में दायर याचिका पर आया है, जो लंबे समय से प्रशासनिक निष्क्रियता और राजनीतिक संरक्षण के विरुद्ध आवाज़ उठा रहे थे।
हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, संबंधित भूमि पर अवैध कब्जा नजूल विभाग और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की संपत्ति पर हुआ है, जिस पर वर्ष 2018 से निर्माण कार्य आरंभ हुआ था। यह आरोप भी सामने आए हैं कि शहर की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के रसूखदार नेताओं ने आपसी सांठगांठ से इस जमीन पर कब्जा जमाया, और उस पर व्यावसायिक दुकानों व काम्प्लेक्स का निर्माण कर डाला।
हालांकि स्थानीय लोगों, आरटीआई कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों द्वारा समय-समय पर विरोध किया गया, लेकिन प्रशासनिक चुप्पी और राजनीतिक दबाव के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। वर्ष 2018 में सत्ता परिवर्तन के बाद भी स्थिति जस की तस बनी रही, और सत्ता में आई नई सरकार ने भी पांच वर्षों तक इस अवैध कब्जे पर कोई कदम नहीं उठाया।
अब जब वर्तमान सरकार के सत्ता में आए डेढ़ वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है, हाई कोर्ट के इस आदेश ने प्रशासन के समक्ष जवाबदेही तय कर दी है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि 120 दिनों के भीतर अवैध निर्माणों को हटाने की कार्रवाई नहीं की जाती है, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर अवमानना की कार्यवाही की जा सकती है।
इस घटनाक्रम ने एक बार फिर शासन, प्रशासन और राजनीति की त्रिकोणीय सांठगांठ को उजागर किया है, और यह भी बताया है कि न्यायपालिका की सक्रियता से ही जनता को न्याय मिल सकता है। अब देखने वाली बात होगी कि जिला प्रशासन और संबंधित विभाग हाई कोर्ट के आदेश का किस हद तक पालन करते हैं और क्या यह कार्रवाई सुशासन पर्व के दावे को सच साबित कर पाएगी।
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