कॉल रिकॉर्ड से हुआ ठगों के खुला राज़
कांकेर:- भानुप्रतापपुर थाना क्षेत्र में ठगी का एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां चार युवकों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर एक ग्रामीण से ₹20,000 की ठगी कर ली। हालांकि, पुलिस की तत्परता और तकनीकी जांच के चलते मामला जल्द ही उजागर हो गया और चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
फर्जी सब-इंस्पेक्टर बनकर ग्रामीण को दी धमकी
हेमलाल कोला नामक ग्रामीण को सोमवार दोपहर करीब 2 बजे एक कॉल आया। कॉलर ने खुद को थाना भानुप्रतापपुर का सब-इंस्पेक्टर वर्मा बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ दारू बनाने और बेचने की शिकायत दर्ज हुई है। कॉलर ने धमकी भरे लहजे में कहा कि अगर वह “मामले को निपटाना” चाहता है तो 20,000 तुरंत दे, क्योंकि टीआई और अन्य अधिकारियों को भी हिस्सा देना पड़ेगा।
शुरुआत में डर के कारण हेमलाल ने बातों पर विश्वास कर लिया, लेकिन बाद में जब कॉल की भाषा और तरीका संदिग्ध लगा, तो उन्होंने साहस दिखाते हुए थाने जाकर पूरी बात बताई।
साइबर टीम की मदद से मिली सफलता
शिकायत मिलते ही भानुप्रतापपुर पुलिस ने साइबर टीम को जांच में लगाया। मोबाइल नंबर की लोकेशन और कॉल रिकॉर्ड के आधार पर पुलिस ने आरोपियों की पहचान की। कुछ ही घंटों की कार्रवाई में पुलिस ने प्रमोद उड़के, 22 वर्ष – निवासी पटेलपारा, पिच्चेकट्टा दीपक पटेल, 23 वर्ष -निवासी कुकरीपारा, नारायणपुर पुष्पेंद्र शांडिल्य, 22 वर्ष – निवासी स्कूलपारा, हाटकोदल ओमकार गावड़े, 23 वर्ष -निवासी गावड़ेपारा,
भानुप्रतापपुर पुलिस पूछताछ में पता चला कि ये चारों युवक मिलकर ग्रामीण इलाकों में फर्जी पुलिस बनकर कॉल करते थे। उनका मकसद लोगों को डराकर पैसे ठगना था।
फर्जीवाड़े का खुलासा- कैसे करते थे ठगी
जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी कॉलिंग एप और फर्जी सिम कार्ड का इस्तेमाल करते थे।
वे पहले यह पता लगाते कि किस इलाके में शराब बनाने या छोटे अवैध कारोबार की चर्चा है, फिर उसी व्यक्ति को टारगेट बनाते।
वे खुद को पुलिस अधिकारी बताकर “रिश्वत के नाम पर पैसे” मांगते थे, ताकि पीड़ित डर जाए और पैसे ट्रांसफर कर दे।
पुलिस ने जारी की चेतावनी
“ऐसे मामलों में आम जनता को जागरूक रहना होगा। पुलिस कभी भी किसी से फोन पर पैसे की मांग नहीं करती। कोई संदिग्ध कॉल आए तो तुरंत स्थानीय थाने से संपर्क करें।”
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