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सफाई और विद्युतीकरण कार्य के लिए जारी की गई निविदा अंततः निरस्त
सफाई और विद्युतीकरण कार्य के लिए जारी की गई निविदा अंततः निरस्त

दुधावा तालाब सफाई निविदा रद्द, कांग्रेस ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

सफाई और विद्युतीकरण कार्य के लिए जारी की गई निविदा अंततः निरस्त
सफाई और विद्युतीकरण कार्य के लिए जारी की गई निविदा अंततः निरस्त

कांकेर:- नगर पालिका कांकेर के वार्ड क्रमांक 19 अघननगर स्थित दुधवा तालाब की सफाई और विद्युतीकरण कार्य के लिए जारी की गई निविदा अंततः निरस्त कर दी गई। यह निविदा 16 मई 2025 को खोली जानी थी, लेकिन एक माह से अधिक समय बीतने के बावजूद न तो निविदा खोली गई और न ही कोई कार्यादेश जारी किया गया। सोमवार को नगरपालिका प्रशासन ने निविदा निरस्तीकरण आदेश जारी कर दिया, जिससे नए सवाल खड़े हो गए हैं।

निविदा रद्दीकरण का कारण और विवाद

निरस्तीकरण आदेश में निविदा रद्द करने का कारण यह बताया गया कि नगर पालिका द्वारा समय पर कार्य न किए जाने के चलते प्रशासकीय स्वीकृति आदेश निरस्त किया जा रहा है। लेकिन इस तर्क पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस नेताओं और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि निविदा खोली ही नहीं गई, कार्य आदेश जारी नहीं हुआ, तो कार्य अधूरा रहने का सवाल ही नहीं उठता।

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सूत्रों के अनुसार, जिस कार्य के लिए निविदा निकाली गई थी, वह जनसहयोग से पहले ही लगभग पूर्ण हो चुका है। आरोप यह भी हैं कि इस निविदा के पीछे कुछ अधिकारियों की मंशा अपने चहेते ठेकेदारों को काम दिलाकर कमीशन का खेल खेलने की थी। लेकिन निविदा में कई ठेकेदारों की भागीदारी ने अधिकारियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया और निविदा खोलना टाल दिया गया।

कांग्रेस का विरोध और प्रशासन पर सवाल

कांग्रेस ने इस पूरे प्रकरण में विपक्ष की भूमिका निभाते हुए इसे भ्रष्टाचार की साजिश बताया। पार्टी नेताओं ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर निविदा खोलने की मांग की, लेकिन कलेक्टर द्वारा इस पर कोई कार्रवाई न होने से कांग्रेस ने प्रशासन की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए हैं। मामला इतना तूल पकड़ गया कि ठेकेदारों और सीएमओ के बीच विवाद थाने तक जा पहुंचा और नगरपालिका कर्मचारियों ने हड़ताल की चेतावनी तक दे डाली।

अब आगे क्या…?

निविदा निरस्तीकरण आदेश में जिस कार्य को निरस्त बताया गया है, उसमें शब्दों का फेरबदल कर तालाब जीर्णोद्धार और प्लांटेशन कार्य का उल्लेख किया गया, जिससे और भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। स्थानीय लोग और कांग्रेस इस बात की जांच की मांग कर रहे हैं कि आखिर किस अधिकारी और नेता के ‘इंटरेस्ट’ ने इस परियोजना को विवादास्पद बना दिया।

यह मामला न केवल नगरपालिका प्रशासन की कार्यप्रणाली पर, बल्कि जिले में पारदर्शिता और सुशासन के दावों पर भी सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस पूरे प्रकरण पर क्या रुख अपनाता है और क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई होती है या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा।

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About Prakash Thakur

प्रकाश ठाकुर, पेज 16 न्यूज़ के मुख्य संपादक हैं। एवं वर्षों से निष्पक्ष, सत्य और जनहितकारी पत्रकारिता के लिए समर्पित एक अनुभवी व जिम्मेदार पत्रकार के रूप में कार्यरत हूँ।

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