रेत के अवैध खनन को लेकर विधायक की नाराजगी

भानुप्रतापपुर:- रेत के अवैध खनन के मुद्दे पर कांकेर विधायक सावित्री मंडावी और प्रशासन के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। बुधवार को भानुप्रतापपुर रेस्ट हाउस में विधायक मंडावी कांकेर कलेक्टर नीलेश महादेव क्षीरसागर से मिलने का इंतजार करती रहीं, लेकिन कलेक्टर उनके पास पहुंचे बिना ही लौट गए। इस घटनाक्रम के बाद विधायक ने प्रशासनिक अधिकारियों पर जमकर नाराजगी जताई और कलेक्टर कार्यालय के घेराव की चेतावनी दी।
कलेक्टर के रवैये से विधायक नाराज
विधायक मंडावी ने कहा, “कलेक्टर से मिलने की सहमति पहले ही ली गई थी, फिर भी वे बिना मिले चले गए। मैंने अपने जीवन में ऐसा कलेक्टर पहली बार देखा है, जो जनप्रतिनिधियों का इस तरह से अपमान करता है। यह केवल मेरी नहीं, बल्कि पूरे विधानसभा क्षेत्र के नागरिकों की अवमानना है।” उन्होंने प्रशासन के प्रति नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यदि आदिवासी महिला विधायक के साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है, तो आम जनता की समस्याओं का क्या हाल होता होगा।
जिलाधिकारी का जवाब
इस पूरे मामले पर एक मीडिया संस्थान को दिए गये बयान के मुताबिक़ कलेक्टर नीलेश महादेव क्षीरसागर ने कहा कि, “मैं विधायक से मिलने रेस्ट हाउस पहुंचा था। चूंकि समय की कमी थी, इसलिए मैंने तहसीलदार के माध्यम से संदेश भिजवाया था कि हम विषय पर चर्चा करेंगे। जिला मुख्यालय में जरूरी कार्यों के चलते मैं आगे की बैठक के लिए रवाना हो गया।” उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी प्रकार उनका ऐसा कोई उद्देश्य नहीं था।
रेत के अवैध खनन पर कार्रवाई की मांग
विधायक सावित्री मंडावी क्षेत्र में रेत के अवैध उत्खनन को लेकर कार्रवाई की मांग कर रही थीं। उन्होंने प्रशासन पर आरोप लगाया कि स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध खनन धड़ल्ले से चल रहा है, जिससे न केवल राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन जल्द ठोस कार्रवाई नहीं करता, तो वे अपने समर्थकों के साथ कलेक्टर कार्यालय का घेराव करेंगी।
स्थानीय प्रशासन सवालों के घेरे में
विधायक के आक्रोश के बीच भानुप्रतापपुर एसडीएम और तहसीलदार को भी तीखी फटकार सुननी पड़ी। क्षेत्र में रेत खनन को लेकर प्रशासन की निष्क्रियता और राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप लगातार लगते रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने रेत खनन विवाद को नया मोड़ दे दिया है। आने वाले दिनों में यह मामला स्थानीय राजनीति में और अधिक तूल पकड़ सकता है। विधायक द्वारा घेराव की चेतावनी से प्रशासन पर दबाव बढ़ना तय है।
निष्कर्ष
रेत के अवैध खनन जैसे संवेदनशील मुद्दे पर प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के बीच सकारात्मक संवाद और समन्वय की आवश्यकता है। जनप्रतिनिधियों की बातों को गंभीरता से सुनना और समयबद्ध समाधान देना प्रशासन की जिम्मेदारी है। वहीं, जनप्रतिनिधियों को भी संवाद के माध्यम से समाधान की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए, ताकि जनता का विश्वास दोनों संस्थाओं पर बना रह सके।
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