
कांकेर:- धार्मिक स्वतंत्रता और मूलभूत अधिकारों की मांग को लेकर कांकेर में सोमवार को ईसाई समुदाय के सैकड़ों लोगों ने शांतिपूर्ण रैली निकालते हुए महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन अपर कलेक्टर को सौंपा। समुदाय ने धार्मिक आधार पर हो रहे उत्पीड़न, और दफन क्रिया के लिए भूमि की अनुपलब्धता जैसे गंभीर मुद्दों पर प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग की है।
सैकड़ों की संख्या में ईसाई समुदाय के लोग टिकरापारा मेला भाटा में एकत्र हुए, जहां राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा के बैनर तले समाज के पदाधिकारियों ने सभा को संबोधित कर जागरूकता फैलाई। इसके बाद रैली मेला भाटा से प्रारंभ होकर कलेक्टोरेट मार्ग तक पहुँची। पहले से मौजूद पुलिस बल ने रैली को बेरिकेट्स पर रोकते हुए कानून व्यवस्था बनाए रखी।
प्रदर्शनकारी हाथों में “धर्म के नाम पर अत्याचार बंद करो” जैसे नारों की तख्तियां लिए हुए थे और शांतिपूर्वक अपनी बात रख रहे थे।
ज्ञापन में क्या हैं मुख्य मांगें ?
प्रदर्शन के पश्चात समाज के प्रतिनिधियों ने अपर कलेक्टर कांकेर को ज्ञापन सौंपा, जिसमें निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
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ईसाई समुदाय को दफन क्रिया के लिए उचित और स्थायी भूमि उपलब्ध कराई जाए।
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धर्म के नाम पर हो रहे शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए।
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धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों की संविधान के अनुरूप रक्षा की जाए।
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अब तक हुई 50 से अधिक घटनाओं की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई हो।
पदाधिकारियों ने क्या कहा ?
डॉ. प्रदीप कलाडियस, साइमन डांटी और मोहन ग्वाल सहित समाज के प्रमुख पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि –
“कांकेर जिले में कई बार ईसाई समुदाय के शवों को कब्र से निकाल दिया गया, या उन्हें दफनाने से रोका गया है। यह हमारे धार्मिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है। प्रशासन मौन है और लगातार अनदेखी कर रहा है।”
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रशासन ने समय रहते ठोस कार्रवाई नहीं की, तो समुदाय को मजबूर होकर उग्र आंदोलन करना पड़ेगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।
मुद्दे की संवेदनशीलता बढ़ी
कांकेर जैसे संवेदनशील जिले में धार्मिक आधार पर बढ़ते तनाव और समुदायों के बीच विश्वास की दरार प्रशासनिक स्तर पर गहनता से देखे जाने की आवश्यकता है। यह घटना धार्मिक अधिकारों, भूमि विवादों और प्रशासनिक निष्क्रियता के समागम को उजागर करती है, जिसे जल्द सुलझाया जाना आवश्यक है।
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