
कांकेर:- जिले के ग्राम पंचायत बांसला में विकास कार्यों के लिए जारी की गई शासकीय राशि में अनियमितता और गबन का गंभीर मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव पर आरोप है कि उन्होंने हेण्डपंप मरम्मत और स्थापना के नाम पर ₹1,81,000 की राशि का आहरण तो किया, लेकिन मैदान पर कोई कार्य नहीं हुआ।
प्राप्त शिकायत के अनुसार, पंचायत के सरपंच और सचिव ने छह फर्जी बिलों के माध्यम से ₹1.81 लाख की राशि आहरित की है। बताया जा रहा है कि न तो गांव में कोई नया हैंडपंप लगाया गया और न ही पुराने हैंडपंपों की मरम्मत की गई।
ग्रामीणों का कहना है कि यह शासकीय राशि का स्पष्ट गबन है और इसमें पंचायत पदाधिकारियों के साथ-साथ कुछ सप्लायरों की भी मिलीभगत है।
आहरित राशि का विस्तृत विवरण
शिकायत में दिए गए बिलों का विवरण इस प्रकार है —
आवास पारा बांसला — हैंडपंप मरम्मत : ₹20,530
पंचायत पारा — हैंडपंप मरम्मत : ₹29,800
बड़े पारा — हैंडपंप मरम्मत : ₹26,700
मोटर पंप स्थापना कार्य : ₹29,850
कोरेटी पारा — मोटर पंप स्थापना कार्य : ₹29,850
पंचायत भवन बांसला — हैंडपंप मरम्मत : ₹45,000
जांच और कार्रवाई की मांग
शिकायतकर्ताओं ने जिला कलेक्टर, उत्तर बस्तर कांकेर को ज्ञापन सौंपकर इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
उनका कहना है कि —
“यदि तत्काल जांच नहीं की गई तो साक्ष्य मिटाए जा सकते हैं। दोषियों के विरुद्ध FIR दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए।”
साथ ही, बिना कार्य किए फर्जी बिल जारी करने वाले दुकानदारों और सप्लायरों को भी गबन में सहभागी बताया गया है।
प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल
यह मामला न केवल पंचायत स्तर की जवाबदेही पर प्रश्न उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि ग्रामीण विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में निगरानी तंत्र की कमजोरी कितनी गंभीर है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह की अनियमितताओं से ग्रामीणों का शासन पर विश्वास कमज़ोर होता है। जिला प्रशासन से अपेक्षा की जा रही है कि इस शिकायत पर शीघ्र वित्तीय और तकनीकी जांच की जाए तथा दोषी पाए जाने वालों पर शासकीय राशि गबन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाए।
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