ग्रामीण क्षेत्रों में बैठकों का दौर जारी
कांकेर:- भानुप्रतापपुर क्षेत्र में गोदावरी इस्पात कंपनी के खिलाफ जन असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है। क्षेत्रीय पर्यावरण, जंगलों की अवैध कटाई, कच्चे लौह अयस्क का अंधाधुंध दोहन, और स्थानीय युवाओं को दरकिनार कर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने जैसे गंभीर आरोपों के बीच शिवसेना ने इस शोषण के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है।
शिवसेना के स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा बताया गया कि गोदावरी इस्पात कंपनी क्षेत्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर शासन कर रही है”, जहां जनता की सहमति के बिना संसाधनों का दोहन किया जा रहा है और ग्रामीणों को उनका हक एवं अधिकार नहीं मिल रहा।
शिवसेना द्वारा भानुप्रतापपुर के आस-पास के गांवों में गांव स्तरीय जन बैठकें आयोजित की जा रही हैं। इन बैठकों में पार्टी कार्यकर्ता ग्रामीणों को समझा रहे हैं कि किस प्रकार क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा को निजी कंपनी द्वारा व्यावसायिक हितों के लिए अनियंत्रित रूप से उपयोग किया जा रहा है। बैठकों में ग्रामीणों को यह भी बताया जा रहा है कि, किस तरह जंगलों की अवैध कटाई और खनिज उत्खनन से क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो रहा है, स्थानीय बेरोजगार युवाओं को दरकिनार कर बाहरी लोगों को नौकरी दी जा रही है, और किस प्रकार यह सब क्षेत्रीय विकास की बजाय लाभ के केंद्रीकरण में बदल गया है।
शिवसेना के अनुसार, यदि यह शोषण यूँ ही चलता रहा तो शीघ्र ही जनजागरण अभियान प्रारंभ कर क्षेत्र की जनता को संगठित किया जाएगा। इस आंदोलन का उद्देश्य कंपनी के एकाधिकार और मनमानी कार्यप्रणाली को रोकना, सरकार का ध्यान आकर्षित करना और क्षेत्र के हक की लड़ाई को मजबूत करना है। इस सिलसिले में भानुप्रतापपुर में एक विशेष बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें शिवसेना पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने आगामी रणनीति पर चर्चा की।
शिवसेना कार्यकर्ताओं का आरोप है कि प्रशासन मौन है और कंपनी को संरक्षण मिल रहा है। इस संबंध में उन्होंने शासन से मांग की है कि क्षेत्र में अवैध खनन और वनों की कटाई की जांच कराई जाए, स्थानीय युवाओं को रोजगार में प्राथमिकता दी जाए और क्षेत्रीय संसाधनों पर स्थानीय लोगों का अधिकार सुनिश्चित किया जाए।
भानुप्रतापपुर में जिस प्रकार जन असंतोष और आंदोलन की भूमिका तैयार हो रही है, उससे यह स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में गोदावरी इस्पात कंपनी और प्रशासन को ग्रामीणों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह जन जागरण अभियान एक स्थानीय संघर्ष तक सीमित रहेगा या इसे राज्यव्यापी आंदोलन का रूप मिलेगा।
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