कांकेर:- कांकेर वनमंडल में वन्य जीवों की बढ़ती आमद ने आम जनता की चिंता को और गहरा कर दिया है। रविवार सुबह कांकेर वन परिक्षेत्र के उदयनगर में भोजन की तलाश में भटकता एक भालू आबादी क्षेत्र में आ गया। बीते शनिवार को ही दुधावा गांव के बड़ेपारा में एक तेंदुए के घर में घुसने की घटना के ठीक बाद सामने आई, जिसने ग्रामीणों को और दहशत में डाल दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग न तो वन्य जीवों की गतिविधियों पर नियंत्रण रख पा रहा है और न ही आम लोगों की सुरक्षा की कोई ठोस व्यवस्था कर सका है। करोड़ों रुपये की योजनाओं और दावों के बावजूद हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं।
ग्रामीणों ने जामवंत परियोजना की विफलता को वन्य जीवों के आबादी क्षेत्र में आने की बड़ी वजह बताया। परियोजना के तहत जंगलों में भालुओं के लिए लाखों अमरूद के पौधे लगाए गए थे, ताकि उन्हें पर्याप्त भोजन मिल सके और वे आबादी क्षेत्र की ओर रुख न करें। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि भालुओं ने शायद ही इन पौधों का लाभ उठाया हो। उल्टा, अब भालू घरों के दरवाजों को तोड़ने की कोशिश करने लगे हैं, जिससे इंसानों और वन्य जीवों के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा हो रही है।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि जामवंत परियोजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद न तो पौधे जमीन पर दिख रहे हैं और न ही वन्य जीवों के लिए भोजन-पानी की कोई ठोस व्यवस्था बन पाई। ग्रामीणों का आरोप है कि परियोजना से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी केवल अपनी जेबें भरने में लगे रहे और जमीनी हकीकत पर किसी का ध्यान नहीं गया।
वन्य जीवों की आबादी क्षेत्रों में बढ़ती आमद इस ओर भी इशारा करती है कि जंगल सिमटते जा रहे हैं और वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास तेजी से खत्म हो रहा है। वन्य जीव विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही कारगर कदम नहीं उठाए गए, तो वन्य जीवों और इंसानों के बीच टकराव और बढ़ेगा, जिससे जान-माल का नुकसान होना तय है।
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