
कांकेर:- छत्तीसगढ़ के शासकीय विद्यालयों में कार्यरत मध्यान्ह भोजन रसोइयों ने सोमवार को नगर के मेला भाटा मैदान में एकजुट होकर प्रदर्शन किया। जिले भर से पहुँचे सैकड़ों रसोइयों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और विधानसभा चुनाव 2023 में किए गए वादों को पूरा करने की माँग की। इस प्रदर्शन को भानुप्रतापपुर विधायक ने भी अपना समर्थन देते हुए रसोइयों की माँगों को न्यायोचित और संवेदनशील बताया है।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार से सवाल किया कि जब चुनावी घोषणा पत्र में यह स्पष्ट किया गया था कि सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर मध्यान्ह भोजन रसोइयों के मानदेय में 50% की वृद्धि की जाएगी, तो अब 17 महीने बीतने के बाद भी उस पर अमल क्यों नहीं हुआ? रसोइयों का कहना है कि सरकार ने मोदी गारंटी के तहत जो वादे किए थे, वे अब खोखले साबित हो रहे हैं।
रसोइयों की मुख्य माँगें
छत्तीसगढ़ स्कूल मध्यान भोजन रसोईया संघ द्वारा प्रस्तुत तीन प्रमुख माँगें इस प्रकार हैं:
- मानदेय में 50% वृद्धि लागू की जाए -चुनावी वादे के अनुसार तत्काल प्रभाव से वेतन बढ़ाया जाए।
- अंशकालिक से पूर्णकालिक दर्जा मिले -रसोइयों को कलेक्टर दर पर वेतन देने के साथ स्थाई कर्मी का दर्जा प्रदान किया जाए।
- रोज़गार की स्थायित्व सुनिश्चित हो -छात्रों की संख्या कम होने पर रसोइयों को हटाने की प्रक्रिया रोकी जाए।
संघ पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया, तो राज्यव्यापी चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। इससे शासकीय विद्यालयों में मध्यान्ह भोजन योजना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
ब्लॉक उपाध्यक्षों द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन के माध्यम से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी से अपील की गई है कि रसोइयों की कठिन परिस्थिति को देखते हुए उनकी माँगों पर गंभीर और मानवीय दृष्टिकोण से विचार करें।
यह मामला अब सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बनता जा रहा है। चुनावी वादों और गारंटी को लेकर यदि सरकार पर विश्वास कमज़ोर होता है, तो उसका असर आगामी चुनावी समीकरणों पर भी देखा जा सकता है।
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