न्योछवर के दम पे खेला गया है थोक में अटैचमेंट का खेल

कांकेर:- साल 2025 के शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ जहां एक ओर नवप्रवेशी छात्रों का शाला प्रवेश उत्सव मनाया जा रहा है, वहीं कांकेर जिले का शिक्षा विभाग एक और गंभीर विवाद में उलझ गया है। हाल में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने युक्तियुक्तकरण नीति अपनाई ताकि शिक्षकों की कमी दूर हो सके लेकिन उस फैसले ने स्कुल शिक्षा विभाग सहित सरकार की ऐसी दशा कर रखी है कि शिक्षक संघ विपक्ष लगातार विरोध जता रहे है ऐसे में शिक्षक और कर्मचारियों का संलग्नीकरण के मुद्दा भी शिक्षा विभाग के लिए नया सरदर्द बन संलग्नीकरण के खेल’ ने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। यह न केवल विभागीय लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि विद्यार्थियों के भविष्य पर भी बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है।
कांकेर जिले के सात विकासखंडों में चल रहे संलग्नीकरण (संलग्न पोस्टिंग) के मामले सूचना के अधिकार (RTI) के तहत आंकड़े सामने आए हैं। इनमें कोयलीबेडा विकासखंड सबसे अधिक 55 शिक्षकों के संलग्नीकरण के आंकड़ों के साथ सबसे ऊपर है, जबकि अन्य विकासखंडों में यह संख्या 2 से 9 के बीच है। यह स्पष्ट संकेत देता है कि कोयलीबेडा जैसे दूरस्थ नक्सल क्षेत्रों से शिक्षकों को निकालकर ब्लाक मुख्यालय या सुविधाजनक स्थानों पर वर्षों से अटैच रखा गया है।
शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार, यह सिलसिला नया नहीं है, लेकिन पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यकाल में संलग्नीकरण की रफ्तार में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। अपने नजदीकी लोगों, रिश्तेदारों और प्रभावशाली शिक्षकों को अंदरूनी इलाकों से निकालकर जिले के मुख्य स्थानों में ‘फेविकोल की तरह चिपका दिया गया’।
चारामा, नरहरपुर, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़ जैसे ब्लॉकों के बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) स्वीकार करते हैं कि संलग्नीकरण के अधिकांश आदेश पूर्व DEO के निर्देश पर हुए। वहीं कोयलीबेडा के बीईओ ने 55 शिक्षकों के संलग्नीकरण पर आज तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी यह मौन स्वीकृति या उच्चस्तरीय दबाव का संकेत भी हो सकता है।
बिना कलेक्टर अनुमोदन के आदेश जारी
RTI में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि अधिकांश संलग्नीकरण आदेशों में जिला कलेक्टर की संस्तुति नहीं ली गई, जो नियमों के विरुद्ध है। जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने सीधे अपने स्तर पर आदेश जारी कर दिए, जिससे शिक्षा विभाग के भीतर प्रशासनिक नियंत्रण की कमजोरी और मनमानी उजागर होती है।
जिला शिक्षा अधिकारी की सफाई
जिला शिक्षा अधिकारी ने Page16 से बात करते हुए बताया कि “शिक्षक युक्तियुक्तकरण के तहत लगभग 75% संलग्नीकरण समाप्त कर दिया गया है, शेष को भी जल्द मूल संस्था में भेजा जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि जो लिपिक और गैर-शिक्षकीय कर्मचारी अन्य कार्यों में संलग्न हैं, उन्हें भी सूचीबद्ध कर कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।
शिक्षा विभाग में वर्षों से जड़ जमाए संलग्नीकरण नेक्सस की वजह से दूरस्थ और जरूरतमंद स्कूलों में शिक्षक नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे गांवों के छात्र लगातार शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। सवाल यह भी है कि क्या जिला प्रशासन अब इस उजागर हुए संलग्नीकरण नेटवर्क को तोड़ेगा, या यह व्यवस्था ऐसे ही सुविधा और दबाव की राजनीति में उलझी रहेगी? जिले के शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व लाने के लिए यह जरूरी है कि ऐसे मामलों पर समय रहते कार्रवाई हो और बच्चों के भविष्य के साथ समझौता न किया जाए।
हम अपने सभी सुधि पाठकों इस बात से अवगत कराना चाहते है कि शिक्षा के पोल खोल अभियान में अपने अगले अंक में तमाम साक्ष्यों के साथ इस बात का भी खुलासा करेंगे की साल 2024 में प्रधान अध्यापकों पदोन्नित कैसे खेला गया खेल…क्यों शिक्षक काउंसलिंग में धांधली का लगाते रहे गए आरोप
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