कांकेर :- पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हुए 2000 करोड़ के शराब घोटाले में जहां पूर्व आबकारी मंत्री समेत कई अधिकारी ईडी और ईओडब्लू की कार्रवाई के चलते जेल की सलाखों के पीछे हैं, वहीं अब सत्ता परिवर्तन के बाद भी छत्तीसगढ़ में मिलावटी और अवैध शराब का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा। राजधानी रायपुर समेत कई जिलों में आबकारी विभाग की हालिया छापेमारी में मिलावटी शराब, नकली होलोग्राम और घटिया ढक्कन जब्त किए गए हैं। इन घटनाओं ने साफ कर दिया है कि सरकार भले बदल गई हो, लेकिन शराब की काली दुनिया का संचालन जस का तस बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार, अवैध उगाही और मिलावट के इस नेटवर्क का संचालन बस्तर संभाग में बेहद संगठित ढंग से हो रहा है — कांकेर जिले के नरहरपुर, चारामा, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, दुर्गकोंदल, पखांजूर और बांदे जैसे इलाकों की शराब दुकानों में बिना किसी रोकटोक के मिलावटी शराब बेची जा रही है।
बोतलों से निकल रहे कीड़े, नशे में फर्क महसूस कर रहे ग्राहक
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाए हैं कि शराब की बोतलों में कीड़े-मकोड़े तक निकल रहे हैं जिसका सबूत हाल ही वायरल वीडियों में सामने आया जब शराब की सील बंद बोतल में काकरोच मिला था और साथ मदिराप्रेमी शराब के असर में भी फर्क महसूस होने का दावा कर रहे है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से आबकारी विभाग ने अभी तक न गुणवत्ता जांच की कोई पहल की है, न ही उपभोक्ता सुरक्षा के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था की।
कवर्धा से लाई गई ‘मिलावट एक्सपर्ट’ जोड़ी को सौंपा गया संचालन
बस्तर के तमाम जिलों के सरकारी शराब दुकानों में चल रहे मिलावट के खेल में सूत्रों का दावा है कि रायपुर स्थित आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कवर्धा से दो “मिलावट विशेषज्ञों” को बस्तर ज़ोन में विशेष रूप से नियुक्त किया है साथ की बस्तर के तमाम जिलों में अधिकारी भी उनके ही आदेश पर नियुक्त है। आबकारी विभाग में इन्हें जय-वीरू के नाम से पुकारा जाता हैं और पूरा बस्तर में इनके इशारों पर मिलावट का काम होता है। हैरानी की बात यह है कि इनकी आबकारी विभाग में दखल नियमों के खिलाफ मानी जाती है, लेकिन अधिकारी कवर्धा के होने से इन्हें भी संरक्षण दे इस कारोबार का जिम्मा दिया गया है।
आदिवासी इलाकों में मिलावटी शराब का नया मॉडल
कांकेर जिले के नरहरपुर, चारामा, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, दुर्गकोंदल, पखांजूर और बांदे जैसे इलाकों में आदिवासी जनसंख्या अधिक है। इन क्षेत्रों में सरकार ने पारंपरिक महुआ शराब के निर्माण और उपयोग की आंशिक छूट दे रखी है। जानकारों के मुताबिक, यही छूट अब मिलावटखोरों के लिए वरदान बन चुकी है। मैदानी जिलों जैसे रायपुर या धमतरी में देशी शराब की खपत जहां अधिक होती है, वहीं इन पहाड़ी और आदिवासी इलाकों में वैधानिक खपत अपेक्षाकृत कम है। इसी असमानता का फायदा उठाकर कुछ ठेकेदार व सप्लाई एजेंट, देशी शराब में रंग, फ्लेवर और केमिकल मिलाकर “ब्रांडेड शराब” की तरह पैक करते हैं। इन बोतलों पर गोवा, रॉयल स्टैग, या अन्य बड़े ब्रांड्स का नकली लेबल चिपका दिया जाता है। ये नकली बोतलें फिर दुकानों में बिकती हैं, जिन्हें आम उपभोक्ता पहचान ही नहीं पाता।
वहीं अधिकारी फिर से सक्रिय, जो पहले कांकेर में थे पदस्थ
बस्तर अंचलों में चल रहे मिलावटी शराब रैकेट के पीछे वही अधिकारी हैं जो पहले कांग्रेस शासन में हुए शराब घोटाले में नामजद है और कांकेर में भी आबकारी अधिकारी भी रह चुके हैं। अब सत्ता बदलने के बाद उन्होंने अपनी निष्ठा बदलकर पूरे बस्तर में मिलावटी शराब का “संचालन प्रमुख” का रोल संभाल लिया है। उनके ही कार्यकाल में एक और सनसनीखेज मामला आया था, जब अंतागढ़ अंग्रेजी दुकान के एक सेल्समैन युवक ने आत्महत्या कर ली थी। जानकारों के अनुसार, अधिकारी द्वारा बिक्री बढ़ाने के लिए उस पर अत्यधिक मानसिक दबाव बनाया गया था, जिसके चलते उसने फांसी लगा ली। मगर इस घटना को केवल आत्महत्या मानकर केस रफा-दफा कर दिया गया। जिले में सिर्फ यही घटना नहीं है करीब दो साल पहले चारामा की अंग्रेजी शराब दुकान में एक मैनेजर को रंगे हाथ मिलावट करते पकड़ा गया था। और आबाकारी स्टाफ ने उसे दुकान में ही जमकर पीटा और नौकरी से निकाल दिया, लेकिन पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं की गई -ताकि सरकार की छवि खराब न हो।
प्रशासन का क्या कहना है ?
जब इस मुद्दे पर कांकेर जिले के आबकारी अधिकारी एन.एम. मिश्रा से पूछा गया तो उन्होंने कहा,
“अभी तक विभाग को कोई लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। यदि शिकायत मिलेगी तो निश्चित रूप से जांच और कार्यवाही की जाएगी।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस के युवा नेता लोमेंद्र यादव ने कहा,
“भाजपा सरकार के सुशासन में यह अवैध कारोबार दुगनी रफ्तार से चल रहा है। गांव-गांव में खुलेआम अवैध शराब की बिक्री मिलावट शराब बेची जा रही है। भाजपा सरकार माफियाओं को संरक्षण दे रही है और कांग्रेस नेताओं पर कार्यवाही और आरोप कई संदेहों को जन्म देता है।”
कांकेर और बस्तर में मिलावटी शराब का यह संगठित कारोबार केवल एक अवैध धंधा नहीं बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और प्रशासनिक जिम्मेदारी दोनों पर सीधा प्रहार है। यदि इस पर जल्द और प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई, तो यह न केवल और बड़ी त्रासदियों को जन्म दे सकता है बल्कि सरकार की साख पर भी सवाल खड़े करेगा। कांकेर से लेकर पूरे बस्तर में मिलावटी शराब की खुली बिक्री और आबकारी विभाग की चुप्पी ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार से जुड़े असली गुनहगार कभी पकड़ में आएंगे?
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