
कांकेर:- प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षकों की कमी दूर करने की दिशा में युक्तियुक्त स्थानांतरण नीति को ऐतिहासिक कदम बता रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कांकेर जिले के शिक्षा विभाग की एक अलग ही तस्वीर पेश कर रही है। यहां संलग्नीकरण का खेल वर्षों से जारी है, जहाँ चुनिंदा कर्मचारी और शिक्षक अपने मूल संस्थानों से दूर मनचाही जगहों पर अटैच रहकर कार्य कर रहे हैं। इस व्यवस्था ने न केवल शिक्षण कार्य को प्रभावित किया है, बल्कि अवैध गतिविधियों और सत्ताधारी गठजोड़ के संकेत भी दिए हैं।
विभाग में जारी संलग्नीकरण सिंडिकेट
सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों के अनुसार, कोयलीबेड़ा विकासखंड में लगभग 55 कर्मचारी तथा जिला मुख्यालय के खंड शिक्षा कार्यालय कांकेर में 05 कर्मचारी संलग्न पाए गए हैं। इनमें से कई नाम वर्षों से एक ही जगह पर अटैच हैं -जैसे:
- श्रीमती दुर्गा ठाकुर (सहा. ग्रेड-02)
- रीना यदु (सहा. ग्रेड-02)
- श्रीमती सुनीता सलाम (सहा. ग्रेड-03)
- दिलीप मरकाम (सहा. ग्रेड-03)
- राखी यादव (भृत्य)
ये सभी मूलतः स्कूलों व अन्य संस्था में पदस्थापित हैं लेकिन खंड शिक्षा कार्यालय में वर्षों से अटैच हैं। सवाल यह है कि इनकी अनुपस्थिति में उन स्कूलों में दायित्व कौन निभा रहा है?
बिना पदभार लिए अटैचमेंट आदेशों की धज्जियां उड़ती व्यवस्था
2018 के एक आदेश क्रमांक 3177 कांकेर, दिनांक 15/01/2018 में रीना यदु को चारामा के चंदेली स्कूल में सहायक ग्रेड-02 के रूप में पदस्थ किया गया था। लेकिन उन्होंने बिना पदभार लिए सीधे खंड शिक्षा कार्यालय में अटैचमेंट करवा लिया और आज तक वहीं कार्यरत हैं। ये मामला केवल एक उदाहरण नहीं है-यह एक बड़ी प्रशासनिक चूक या मिलीभगत की ओर इशारा करता है। क्या यह सब केवल उच्चस्तरीय संरक्षण का परिणाम है?
इंग्लिश शिक्षक की तैनाती भी एक बड़ा सवाल
एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है -पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यकाल में एक एलबी इंग्लिश शिक्षक को जिले की जरूरतों के विपरीत जिला कार्यालय में संलग्न कर दिया गया। जहां पूरे जिले में अंग्रेज़ी, गणित और विज्ञान जैसे विषयों के शिक्षकों की भारी कमी है, वहां इस तरह की नियुक्ति शैक्षणिक व्यवस्था को ठेंगा दिखाने जैसा है। बताया जाता है कि मौजूदा जिला शिक्षा अधिकारी भी उक्त शिक्षक को मूल संस्था में वापस भेजने का साहस नहीं कर पाए हैं।
शिक्षा विभाग के भीतर भ्रष्टाचार की बू
इस संलग्नीकरण की हकीकत तब और भयावह हो जाती है जब हाल ही में दो महिला कर्मचारियों को पेंशन प्रकरण में रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित किया गया है। वहीं, इंग्लिश शिक्षक पर लग रहे गंभीर आरोपों में यह भी सामने आया है कि 2024 में प्रधान पाठकों की पदोन्नति प्रक्रिया में उनकी जबरदस्त दखलंदाजी थी। दो बार काउंसलिंग रद्द हुई, कुछ शिक्षकों ने असहमति दे दिया और अंततः उन शिक्षकों का संशोधित आदेशों देते हुए जरिए जमकर उगाही की गई। सूत्रों के अनुसार, इस उक्त से उक्त शिक्षक ने बीते गर्मियों में लगभग 50 लाख की अचल संपत्ति क्रय किये जाने की चर्चा जोरों पे है।
डीईओं के दावाओं पर उठ रहे सवाल
मौजूदा जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा बार-बार किए गए इस दावे कि 75% संलग्नीकरण समाप्त कर दिए गए हैं-अब कागजों तक सीमित लगता है। दस्तावेज़ कुछ और ही कहानी बयान करते हैं। कांकेर शिक्षा विभाग में शिक्षक और कर्मचारियों के संलग्नीकरण की कहानी केवल प्रशासनिक उदासीनता नहीं, बल्कि गंभीर भ्रष्टाचार, पक्षपात और शिक्षा के मूल उद्देश्य से खिलवाड़ की कहानी है। शिक्षा कार्यालय कांकेर में कर्मचारियों को सालों संलग्न किये जाने के मसले पर जब खंड शिक्षा अधिकारी से जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि उच्च अधिकारी के आदेश पर कर्मचारियों संलग्न है उनके ही आदेश से उनके मूल संस्था वापस किया जा सकता है यानी, न जिम्मेदारी तय है, न जवाबदेही।
Page16 की यह रिपोर्ट शासन और शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों के लिए एक सीधी चुनौती है-क्या वे इस संलग्नीकरण के खेल पर शिकंजा कसने का साहस दिखाएंगे, या फिर सब कुछ चुपचाप चलता रहेगा? शिक्षा व्यवस्था का सवाल है-जवाब अब देना ही होगा।
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