
भानुप्रतापपुर:- कांकेर जिले में रेत माफिया के बढ़ते प्रभाव और शासन-प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर शिवसेना ने तीखा हमला बोला है। शिवसेना नेता सुखचंद मंडावी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रेत माफिया को राजनीतिक संरक्षण देने और प्रशासनिक मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि रेत माफिया की गतिविधियों पर जल्द अंकुश नहीं लगाया गया, तो शिवसेना जनजागरण अभियान चलाकर उग्र आंदोलन करेगी। सुखचंद मंडावी ने कहा कि कांकेर जिले के चारामा, दुर्गुकोंदल, परतापुर, पखांजूर और कांकेर क्षेत्र की नदियों में चेन माउंटेन मशीनों और हाईवा जैसे भारी वाहनों से अवैध रेत उत्खनन धड़ल्ले से जारी है। उनका कहना है कि प्रशासन की आंखों के सामने यह अवैध कारोबार फल-फूल रहा है, लेकिन कार्यवाही के नाम पर महज दिखावा हो रहा है। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि नदी का सीना चीरकर रेत निकालने के दुष्परिणाम आने वाले समय में स्पष्ट दिखेंगे, जब क्षेत्र का जलस्तर कई मीटर नीचे चला जाएगा और तटीय क्षेत्रों में कटाव की गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी।
नेताओं पर दलाली के आरोप, सामाजिक ताने-बाने को नुकसान
शिवसेना नेता ने आरोप लगाया कि कुछ जनप्रतिनिधि और नेता, जो जनता की सेवा का वादा करके सत्ता में आए थे, वही अब रेत माफिया के संरक्षणदाता बन गए हैं। उन्होंने कहा, “रेत माफिया से मिले अवैध पैसे का उपयोग गांव-गांव में झगड़ा-लड़ाई कराने के लिए किया जा रहा है।”
मंडावी ने सवाल उठाया, “जनता की सेवा के लिए चुने गए प्रतिनिधि आखिर किसके लिए काम कर रहे हैं? क्या वे रेती चोरी कराने के लिए विधायक और जनप्रतिनिधि बने हैं ?”
शिवसेना का ऐलान: जनजागरण, नुक्कड़ सभाएं और विरोध प्रदर्शन
सुखचंद मंडावी ने स्पष्ट किया कि शिवसेना इस मुद्दे को लेकर चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने कहा कि जहां-जहां अवैध रेत उत्खनन हो रहा है, वहां शिवसेना जनजागरण के तहत नुक्कड़ सभाएं आयोजित करेगी और नदियों के किनारे धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। उनका कहना है कि जनता को इस अवैध कारोबार के दुष्परिणामों से अवगत कराकर जनदबाव के माध्यम से माफिया और उनके संरक्षकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी।
प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल
शिवसेना ने उन अधिकारियों पर भी सवाल उठाए जिनकी जिम्मेदारी है कि वे अवैध रेत खनन को रोकें। मंडावी ने कहा कि कई अधिकारी रेत माफिया की दलाली कर रहे हैं और शिकायतों के बावजूद कार्यवाही से बचते हैं, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी है। कांकेर जिले में रेत माफिया के खिलाफ शिवसेना के तेवरों से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में जनांदोलन तेज हो सकता है। प्रशासन और नेताओं पर लग रहे भ्रष्टाचार और संरक्षण के आरोपों ने इस मुद्दे को और संवेदनशील बना दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शासन-प्रशासन इस पर कड़ी कार्यवाही करता है या जनदबाव का सामना करता है।
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