राजनैतिक संरक्षण में चल रहा रेत का अवैध कारोबार

कांकेर कांकेर जिले के चारामा विकासखंड अंतर्गत ग्राम मचांदुर और तासी में अवैध रेत उत्खनन और तस्करी का सिलसिला लगातार जारी है। प्रशासन की स्पष्ट रोक और ग्रामीणों की बार-बार शिकायत के बावजूद, क्षेत्र में रेत का रात के अंधेरे में खुलेआम उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है।
प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, रेत खदानों को लेकर पहले भी कई बार विवाद हो चुका है और कुछ मामलों में मारपीट तक की स्थिति बन चुकी है। चार से अधिक बार ग्रामीण प्रशासन से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। प्रशासन की अनदेखी और कार्रवाई की सुस्ती के कारण रेत माफिया बेखौफ होकर काम कर रहे हैं।
गांव की शांति पर खतरा, पर्यावरण को नुकसान
लगातार अवैध उत्खनन से गांव की जलधारा, खेती की ज़मीन और पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ रहा है। कई बार खनन क्षेत्र में गांववालों और रेत माफिया के बीच विवाद की स्थिति बन चुकी है, जिससे गांव की शांति व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
प्रशासन का रवैया: चुप्पी या मूक समर्थन ?
स्थानीय लोगों का कहना है कि रेत का परिवहन प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है और जिम्मेदार अधिकारी हाथ-पांव फूलने की स्थिति में हैं। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या कहीं प्रशासनिक मिलीभगत तो इस गोरखधंधे में नहीं है ? चारामा क्षेत्र में अवैध रेत उत्खनन अब सिर्फ एक पर्यावरणीय समस्या नहीं, बल्कि कानून व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही का सवाल बन गया है। सरकार और जिला प्रशासन को चाहिए कि तत्काल प्रभावी कार्रवाई करे, दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो और गांवों में स्थायी समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।
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