मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए लगा रहे चक्कर, स्वास्थ्य अधिकारी से लगाई गई गुहार
कांकेर:- नगर के बहुचर्चित और विवादित मदर मेरी निजी अस्पताल में प्रसव और इलाज के दौरान तालाकुर्रा निवासी किरण टाडिया की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला न केवल अस्पताल प्रबंधन की कथित लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की निगरानी पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
जानकारी के अनुसार मदर मेरी अस्पताल का पंजीयन नवीनीकरण पिछले छह वर्षों से लंबित था, बावजूद इसके यह अस्पताल धड़ल्ले से संचालित होता रहा। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई थी। यह वही अस्पताल है जिसे पहले भी दो बार सीलबंद किया जा चुका है, और अब तीसरी बार सीलबंद करने की नौबत आई।
मृतका के पति चंद्रकांत टाडिया के अनुसार किरण को पहले जिला अस्पताल में प्रसव हेतु भर्ती कराया गया था। हालत बिगड़ने पर उसे मदर मेरी अस्पताल रेफर किया गया। वहां ऑपरेशन के बाद बच्चे का जन्म तो हुआ, लेकिन 5 जून को महिला की तबीयत और बिगड़ गई और अंततः उसकी मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने मौत का कारण पीलिया बताया।
इस मामले में सबसे बड़ी लापरवाही यह सामने आई कि महिला की मौत के बाद शव परीक्षण नहीं कराया गया। न तो अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस को सूचना दी और न ही परिजनों को पोस्टमार्टम की प्रक्रिया से अवगत कराया गया। 2023 में भी इसी प्रकार सिद्धांत अस्पताल में घटित एक समान मामले में शव परीक्षण कर कार्यवाही की गई थी, लेकिन मदर मेरी अस्पताल महिला कि मौत के बाद शव परीक्षण नहीं किया जाना कई संदेहों को जन्म दे रहा है।
महिला की हुई मौत के बाद अब मृतका के परिजन मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए लगातार अस्पताल प्रबंधन के चक्कर काट रहे हैं। अब तक उन्हें प्रमाण पत्र नहीं सौंपा गया है। परिजनों ने जिला स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है।
मृतका के परिजनों ने मांग की है कि अस्पताल प्रबंधन पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए और दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए।
यह मामला जिले में निजी अस्पतालों की अनियमितताओं और प्रशासन की ढिलाई को उजागर करता है। अब देखना होगा कि प्रशासन दोषियों पर क्या कार्रवाई करता है और पीड़ित परिवार को कब न्याय दिला पाता है।
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