जेल अधीक्षक ने शिकाकत को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
कांकेर: कांकेर जिला जेल एक बार फिर विवादों में है। इस बार जेल की महिला कर्मचारियों ने सीधे सहायक जेल अधीक्षक और उनके पति पर गंभीर आरोप लगाते हुए कलेक्टर को लिखित शिकायत सौंपी है। महिला प्रहरियों का आरोप है कि उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है, साथ ही जेल प्रशासन में भ्रष्टाचार व्याप्त है।
शिकायत में महिला प्रहरियों ने विस्तार से आरोप लगाए हैं। सबसे पहले उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई कि वर्षों से महिला स्टाफ के लिए निर्धारित अलग प्रवेश द्वार को बंद कर दिया गया है। इसके चलते उन्हें पुरुष बंदियों के स्नानागार और शौचालय वाले रास्ते से गुजरना पड़ता है, जिसे उन्होंने असुरक्षित और अपमानजनक बताया है।
प्रहरियों ने बताया कि ड्यूटी के दौरान उन्हें बार-बार धमकाया जाता है -“ट्रांसफर करवाना , “गोपनीय चरित्रावली खराब करना, वाक्यांशों से माहौल डर का बनाने का ज़िक्र किया गया है।
शिकायत पत्र में सहायक जेल अधीक्षक पर यह भी आरोप लगाया गया है कि वह कैदियों के परिजनों से रिश्वत लेकर उनसे मुलाकात, मोबाइल फोन और खाने-पीने की वस्तुओं की जेल में अवैध रूप से व्यवस्था करती हैं। इन कामों में उनके पति की भी कथित तौर पर संलिप्तता है, जो जेल परिसर में आकर महिला कर्मचारियों के काम में हस्तक्षेप करते हैं।
महिला कर्मचारियों ने सहायक अधीक्षक के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच, पृथक महिला प्रवेश द्वार की पुनर्बहाली, और सम्मानजनक कार्य वातावरण की बहाली की मांग की है। उन्होंने कहा है कि अब और मानसिक प्रताड़ना सहन नहीं की जा सकती।
हालांकि शिकायत जिला कलेक्टर और वरिष्ठ जेल अधिकारियों को सौंप दी गई है, जिला प्रशासन की ओर से अनुविभागीय अधिकारी ने ये प्रतिक्रिया दी है नियमानुसार जांच पश्चात् ही आगे कार्यवाही प्रेषित की जायेगी अभी शिकायत पर जाँच लंबित है।
जेल अधीक्षक ने कहा
इस पूरे विवाद पर जब Page16 ने कांकेर जेल अधीक्षक से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा,
“जेल एक संवेदनशील स्थान है जहां सुरक्षा और अनुशासन सर्वोच्च प्राथमिकता है। यदि किसी महिला प्रहरियों को कोई दिक्कत थी तो अपने महिला अधिकारी से सीधे संपर्क कर सकती थीं। अचानक इस तरह शिकायत करना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
महिला कर्मचारियों द्वारा लगाए गए आरोप न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े करते हैं यदि जांच निष्पक्ष होती है तो कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आ सकते हैं। वहीं, यदि मामला दबा दिया गया तो यह कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण की आवश्यकता पर भी प्रश्नचिन्ह छोड़ जाएगा।
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