शराब दुकानों में अवैध उगाही, आबकारी विभाग खामोश

कांकेर:- एक तरफ छत्तीसगढ़ की डबल इंजन सरकार कांग्रेस शासनकाल में हुए शराब घोटाले की जांच में ACB और EOW की कार्रवाई को तेज कर चुकी है, तो दूसरी ओर बस्तर संभाग के कई जिलों में सरकारी शराब दुकानों में खुलेआम अवैध वसूली का खेल बदस्तूर जारी है। कांकेर जिले की सात दुकानों में से पांच में यह ‘उगाही तंत्र’ आबकारी विभाग की चुप्पी और मौन सहमति के साथ फल-फूल रहा है।
डबल इंजन की सरकार, दोहरी तस्वीर
एक ओर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री खुद शराब दुकानों का निरीक्षण कर रहे हैं, तो दूसरी ओर सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों को मर्ज कर नई शराब दुकानें खोलने के प्रस्ताव ने विवाद को जन्म दे दिया है। इन सबके बीच, शराब दुकानों में खुदरा मूल्य से अधिक दरों पर बिक्री और अवैध उगाही की शिकायतें आम होती जा रही हैं, जो सुशासन के दावों पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करती हैं।
नरहरपुर, भानुप्रतापपुर, दुर्गूकोंदल, अंतागढ़, पंखाजूर और बांदे जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शराब दुकानों में मूल्य से अधिक दाम वसूले जा रहे हैं। केवल कांकेर और चारामा की दुकानें इस लूट से कुछ हद तक अछूती हैं, बाकी पांच दुकानों में यह अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है।
अंतागढ़-नरहरपुर: उगाही का गढ़
अंतागढ़ क्षेत्र इस अवैध खेल का केंद्र बन चुका है। सूत्रों के मुताबिक, अप्रैल माह में आबकारी विभाग के एक अधिकारी को ठेल्काबोड़ स्थित उनके निवास पर ₹1.50 लाख की नकद ‘न्योछावर’ पहुंचाई गई। यह ‘हिस्सा प्रणाली’ हर दुकान से मासिक रूप में संचालित हो रही है। सरकार द्वारा “आहात” लाइसेंस की अनुमति के बाद, आबकारी विभाग के नाम का डर दिखाकर नजदीकी दुकानों से भी अवैध वसूली शुरू हो चुकी है। दुकानदार 40 पैसे के गिलास को ₹5, ₹5 की नमकीन को ₹10, और 50 पैसे के पानी पाउच को ₹5 में बेच रहे हैं। खाद्य विभाग की भूमिका भी संदिग्ध है, क्योंकि अब तक किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हुई है।
युवा नेता की सोशल मीडिया पर मुहिम
अंतागढ़ के एक आदिवासी युवा नेता ने सोशल मीडिया के माध्यम से इस लूट के कई प्रमाण प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि शिकायतों पर आबकारी विभाग के अधिकारी फोन तक रिसीव नहीं करते। दुकानों में दर्शित मूल्य को नेल पॉलिश या स्टिकर से ढंककर असल कीमत छिपाई जाती है। दुर्गूकोंदल क्षेत्र से भी ऐसी ही शिकायतें सामने आईं, लेकिन अब तक ना किसी सेल्समैन पर कार्रवाई हुई, ना किसी मैनेजर से पूछताछ।
महुआ पर कार्रवाई, सरकारी दुकानों पर मौन क्यों….?
जहां एक ओर आबकारी विभाग महुआ शराब बेचने वाले ग्रामीणों पर दिखावटी कार्रवाई कर वाहवाही लूट रहा है, वहीं सरकारी दुकानों में करोड़ों की अवैध वसूली पर चुप्पी साधे बैठा है। यह दोहरा रवैया विभाग की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े करता है ।
विपक्ष का हमला, अधिकारी की चुप्पी
इस मुद्दे पर जब कांग्रेसी नेता सुनील गोस्वामी से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने तीखा प्रहार करते हुए कहा:
“भाजपा का असली चाल, चेहरा और चरित्र यही है—जनता से झूठे वादे और जमीनी स्तर पर लूट। एक तरफ स्कूल मर्ज किए जा रहे हैं, दूसरी तरफ नई शराब दुकानों के उद्घाटन की घोषणाएं हो रही हैं। बस्तर अंचल में शराब दुकानों का संचालन पूरी तरह से नियम-विहीन हो चुका है।”
और जब जिला आबकारी अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन उठाना तक जरूरी नहीं समझा, जिससे उनका पक्ष सामने नहीं आ सका।
कब थमेगी लूट, कौन लेगा जिम्मेदारी…?
कांकेर समेत पूरे बस्तर संभाग में सरकारी शराब दुकानों में चल रही अवैध वसूली और लूट ने कानून-व्यवस्था व प्रशासनिक ईमानदारी पर सवाल खड़ा कर दिया है। जब तक निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह अवैध खेल ऐसे ही जारी रहेगा।
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