कांकेर सर्किट हाउस में फोन अटेंडर की नियुक्ति बनी मज़ाक, सालों से डेड फोन

कांकेर:- जिला मुख्यालय स्थित सर्किट हाउस इन दिनों एक अनोखे ‘सरकारी कारनामे’ को लेकर सुर्खियों में है। यहां लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा एक फोन अटेंडर की नियुक्ति तो कर दी गई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि जिस फोन को अटेंड करने के लिए कर्मचारी नियुक्त किया गया है, वह फोन सालों से डेड पड़ा है। इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि उक्त फोन अटेंडर न केवल ड्यूटी से अक्सर नदारद रहते हैं, बल्कि उनकी स्थायी गैरमौजूदगी को लेकर सर्किट हाउस में पदस्थ रसोईया व सफाईकर्मी भी असमंजस में रहते हैं।
ड्यूटी नाम की औपचारिकता
सर्किट हाउस में पदस्थ रसोईया और सफाईकर्मियों के अनुसार, फोन अटेंडर अधिकारी महज कुछ क्षणों के लिए ही सर्किट हाउस में देवदूत की तरह दिखाई देते हैं, उसके बाद वे कहा रहते है उसकी उन्हें कोई जानकरी नहीं रहती । खास बात ये है कि इसी कर्मचारी के जिम्मे आगंतुक पंजी में एंट्री करना, आगंतुक शुल्क संग्रह करना और कार्यालयीन फोन अटेंड करना है-लेकिन फोन सालों से बंद है, और पंजी में कई वर्षों के शुल्क का कोई हिसाब नहीं।
Page16 को प्राप्त वर्ष 2023, 2024 और 2025 के आगंतुक पंजी के रिकॉर्ड में कई पन्नों पर शुल्क की प्रविष्टियां गायब हैं। इससे ये संदेह और गहरा जाता है कि आगंतुकों से वसूला गया वो पैसा कहां गया और किसने इसका लाभ उठाया?
जानकारों की मानें तो यह कर्मचारी पहले भी विवादों में रह चुका है। तत्कालीन कलेक्टर अलरमेल मंगई डी ने इसके व्यवहार को देखते हुए इसे पंखाजूर स्थानांतरित कर दिया था। पर कुछ समय पश्चात “सिस्टम” का उपयोग कर यह पुनः कांकेर PWD में पदस्थ हो गया। अब एक बार फिर ड्यूटी से लापरवाही और जवाबदेही से बचते रहने का उसका रवैया उजागर हो रहा है।
ड्यूटी से ज्यादा “व्यक्तिगत दुकानदारी” में रुचि…?
सूत्रों के अनुसार, फोन अटेंडर महोदय अक्सर चारामा क्षेत्र में निजी दुकानदारी में व्यस्त रहते हैं और कार्यस्थल पर उपस्थिति केवल औपचारिकता बन कर रह गई है। जैसे ही किसी बड़े अधिकारी या मंत्री के आगमन की सूचना मिलती है, उनकी कर्तव्यनिष्ठा जाग जाती है और वे सर्किट हाउस में सक्रिय दिखने लगते हैं।
फोन अटेंडर महोदय की केवल लापरवाही ही उजागर नहीं हो रही है, बल्कि फोन अटेंडर के व्यवहार को लेकर भी निचले स्तर के कर्मचारियों में नाराजगी है। एक कर्मचारी ने Page16 को एक मज़ेदार लेकिन कड़वा किस्सा सुनाया कि हाल ही में कांकेर जिला प्रभारी सचिव के लिए सर्किट हाउस में चिकन सब्जी बनाई गई थी। लेकिन सचिव महोदया ने केवल शाकाहारी भोजन किया और चिकन व्यंजन अधूरा रह गया। कुछ कर्मचारियों ने बचे हुए चिकन के टुकड़ों का स्वाद ले लिया, जिससे फोन अटेंडर साहब भड़क उठे और पूरी रसोई पर आग बबूला हो गए और कहने लगे कि
“वो चिकन मैं घर ले जाने वाला था, तुम लोगों ने कैसे हाथ क्यों लगाया?”
Page16 ने जब लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन अभियंता के.के. सरल (मो. नं. 84353-80534) से इस मामले पर प्रतिक्रिया लेनी चाही, तो उन्होंने कॉल रिसीव करना भी जरूरी नहीं समझा। अब ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या विभाग अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेगा? या यह मामला भी सरकारी “चलता है” रवैये की भेंट चढ़ जाएगा?
Live Cricket Info