किसकी सरपरस्ती में फल-फूल रहा है सट्टा काला कारोबार….?
कांकेर:- हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल के ख़ुश रखने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है ऐसा ही कुछ आलम विष्णु के सुशासन में है जहाँ कांकेर जिले में सट्टा कारोबार का जाल अब इतना गहरा और बेखौफ हो चला है कि यह न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है, बल्कि समाज की नींव को भी हिला रहा है। विष्णुदेव सरकार के सुशासन के दावों के बीच जुआ-सट्टा का यह बढ़ता साम्राज्य पुलिस की कार्यप्रणाली और राजनीतिक इच्छाशक्ति पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में कुछ युवक मोबाइल पर सट्टा नंबर दर्ज करते दिखे, जिससे साफ हो गया कि सट्टा नेटवर्क न केवल सक्रिय है, बल्कि इतने बेखौफ तरीके से संचालित हो रहा है मानो कानून नाम की कोई चीज ही नहीं।
वीडियो वायरल होने के बाद कांकेर नगर के मुक्ति धाम में दो सट्टा गुटों के बीच जमकर हाथापाई की खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि यह झगड़ा वीडियो लीक करने को लेकर हुआ। इससे यह संकेत भी मिलते हैं कि सट्टेबाजों के बीच वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो चुकी है।
चारामा, नरहरपुर, कोरर, भानुप्रतापपुर और अंतागढ़ जैसे इलाकों में यह अवैध कारोबार गहरी पैठ बना चुका है। हाल ही में मर्दापोटी जंगल में रात 1 बजे छापा मारकर पुलिस ने 83 हजार नगद के साथ 7 जुआरियों को गिरफ्तार किया, लेकिन कुछजुआरी मौके से फरार हो गए।
यह केवल युवा बेरोजगारों की समस्या नहीं रही, बल्कि अब तो महिलाएं, बुजुर्ग और यहां तक कि कुछ सरकारी कर्मचारी भी इस चक्रव्यूह में फंस चुके हैं। ‘जल्दी अमीर बनने’ का सपना उन्हें कर्ज, अपराध और सामाजिक बहिष्कार की ओर धकेल रहा है।
नगर में यह चर्चा आम है कि सट्टा कारोबार को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। आईपीएल जैसे आयोजनों में करोड़ों की सट्टेबाजी के बावजूद आज तक एक भी बड़ा नाम कानून के शिकंजे में नहीं आया। क्या कानूनी कार्यवाही सिर्फ छोटे मोटे लोगों पे होगी है? क्या राजनीतिक पहुंच वाले सट्टेबाजों के लिए कानून लागू नहीं होता ?
यदि अब भी सख्ती नहीं बरती गई, तो यह काला कारोबार न केवल युवाओं की जिंदगी को बर्बाद करेगा, बल्कि समाज की मूलभूत शांति, नैतिकता और न्याय-व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देगा।
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