आंगनबाड़ी की लापरवाही पर उठे सवाल

कांकेर:-शहर की दूध नदी में शुकवार दोपहर एक तीन वर्षीय मासूम बालक की डूबने से दर्दनाक मौत हो गई। मृतक की पहचान शिवासु बाल्मीकि के रूप में हुई है, जो नगर के एमजी वार्ड आंगनबाड़ी केंद्र में पंजीकृत है । यह घटना न केवल मासूम की असमय मृत्यु को लेकर शोकजनक है, बल्कि आंगनबाड़ी व्यवस्था की लापरवाही पर भी गंभीर प्रश्न खड़े कर रही है।
मिली जानकारी के अनुसार, मासूम शिवासु बाल्मीकि मंगलवार को रोज़ की तरह अपने वार्ड स्थित आंगनबाड़ी केंद्र गया था। दोपहर करीब 1:30 बजे छुट्टी के बाद वह लापता हो गया। काफी देर तक जब वह घर नहीं पहुंचा, तो परिजनों ने खोजबीन शुरू की।
कुछ समय बाद, मोहल्ले से सटी दूध नदी के किनारे बच्चे की लाश दिखाई दी। सूचना मिलने पर स्थानीय लोग नदी की ओर दौड़े और अत्यंत दुखद दृश्य सामने आया-नदी में शिवासु का शव तैरता मिला। उसे तुरंत जिला अस्पताल लाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
इस हृदयविदारक घटना के बाद से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मोहल्ले में शोक का माहौल है और आंगनबाड़ी की लापरवाही को लेकर लोगों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। परिजनों का कहना है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बच्चों पर पर्याप्त निगरानी नहीं रखी, जिसके चलते यह हादसा हुआ।
सूत्रों के अनुसार, यह भी सामने आया है कि आंगनबाड़ी केंद्र से छुट्टी के बाद बच्चा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ किसी परिचित के घर गया था, जहाँ से वह अपनी माँ की तलाश में खुद ही निकल पड़ा। इस दौरान वह नदी किनारे तक जा पहुंचा, जहाँ संभवतः फिसलकर नदी में गिर गया।
सबसे गंभीर बात यह है कि आंगनबाड़ी केंद्र को मासूम की अनुपस्थिति की जानकारी तक नहीं थी, जो बाल सुरक्षा मानकों पर सीधे सवाल खड़ा करता है।
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और मर्ग कायम कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि हर पहलु की जांच की जाएगी,।
इस घटना ने आंगनबाड़ी केंद्रों की निगरानी प्रणाली और जिम्मेदारियों को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है। तीन साल का मासूम बच्चा कैसे बिना किसी की निगाह से ओझल होकर नदी तक पहुंच गया? क्या आंगनबाड़ी स्टाफ की कोई जवाबदेही तय होगी?
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