Tuesday, 29 July, 2025
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गांजा, नशीली गोलियां, इंजेक्शन—गली-गली बिकते ज़हर अब युवाओं को बर्बादी की ओर नहीं, मौत की ओर धकेल रहे हैं। सवाल ये नहीं कि अगला कौन होगा-सवाल ये है कि कोई बचेगा भी या नहीं?
गांजा, नशीली गोलियां, इंजेक्शन—गली-गली बिकते ज़हर अब युवाओं को बर्बादी की ओर नहीं, मौत की ओर धकेल रहे हैं। सवाल ये नहीं कि अगला कौन होगा-सवाल ये है कि कोई बचेगा भी या नहीं?

नगर में सूखे नशे ने ली युवक की जान गला रेतकर हत्या, पुलिस की कार्यशैली पर फिर उठे सवाल

कांकेर :- जहां बस्तर नक्सलवाद के साए से धीरे-धीरे उबर रहा है, वहीं अब नगर क्षेत्र एक नए खतरे-सूखे नशे के जाल-में उलझता जा रहा है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि अब यह जानलेवा साबित होने लगा है। आज शाम करीब 6:30 बजे, टिकरापारा निवासी शिव वाल्मीकि की दो युवकों ने गला रेतकर निर्मम हत्या कर दी। यह सनसनीखेज वारदात बरदेभाटा क्षेत्र में हुई।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, शिव वाल्मीकि का विवाद सूखे नशे के अवैध कारोबार को लेकर एमजी वार्ड और शांतिनगर क्षेत्र के दो युवकों से हुआ था। दोनों आरोपी नशे की हालत में थे और अपने पास छिपाकर रखे चाकू से शिव पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। एक चाकू उसके गले पर इस कदर वार हुआ कि वह मौके पर ही गिर पड़ा। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

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हाल ही में संजयनगर वार्ड से एक मारपीट का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें सूखे नशे में धुत युवक जानवरों की तरह एक-दूसरे पर टूट पड़े थे। Page 16 ने इस विषय को गंभीरता से उठाया था और प्रशासन को सचेत किया था कि सूखा नशा केवल लत नहीं, अब अपराध का आधार बन चुका है।

गांजा, नशीली गोलियां और इंजेक्शन अब गली-गली अवैध रूप से बेचे जा रहे हैं, जिनकी गिरफ्त में आकर नगर के कई युवक-युवतियाँ नशे की लत में पड़ चुके हैं। हालात ऐसे बन गए हैं कि यह जहरीला कारोबार अब सीधे तौर पर हत्याओं को जन्म दे रहा है।

हालिया कार्रवाई के बावजूद सूखे नशे का कारोबार बदस्तूर जारी है। कई बार कार्रवाई केवल दिखावा बनकर रह जाती है। आज की इस हत्या ने स्थानीय पुलिस की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। नगर में खुलेआम बिक रहे सूखे नशे पर स्थायी रोक कब लगेगी? नाबालिगों और युवाओं को कैसे रोका जाएगा इस दलदल में गिरने से? हर बार किसी बड़ी वारदात के बाद ही क्यों जागता है पुलिस तंत्र? 

नगर में सूखे नशे का धंधा किसी खुली साजिश की तरह फल-फूल रहा है। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि नशे के इस गोरखधंधे को आखिर किसका संरक्षण प्राप्त है? क्या यह प्रशासन की अनदेखी है या किसी रसूखदार की मिलीभगत?

शिव वाल्मीकि की हत्या सिर्फ एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि यह उस युवा पीढ़ी की चेतावनी है जो नशे की चपेट में आकर अपने भविष्य और समाज को दोनों को बर्बादी की ओर ले जा रही है। नक्सलवाद का अंत जरूरी था, लेकिन अब सूखे नशे के खिलाफ एक निर्णायक युद्ध की आवश्यकता है—वरना यह धीमा ज़हर पूरे बस्तर की नस्ल को खोखला कर देगा।

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About Prakash Thakur

प्रकाश ठाकुर, पेज 16 न्यूज़ के मुख्य संपादक हैं। एवं वर्षों से निष्पक्ष, सत्य और जनहितकारी पत्रकारिता के लिए समर्पित एक अनुभवी व जिम्मेदार पत्रकार के रूप में कार्यरत हूँ।

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