कांकेर नगर पालिका में सत्ता परिवर्तन के बाद भी विवाद क्यों थम नहीं रहे ?

कांकेर:- कांकेर नगर पालिका में चार महीने पहले भाजपा के हाथों में सत्ता सौंपने के बाद लोगों में उम्मीदों की एक नई लहर देखी गई थी। लेकिन महज़ कुछ ही महीनों में नगर पालिका विवादों और आरोप-प्रत्यारोपों का केंद्र बन गई है। सवाल उठने लगे हैं क्या ट्रिपल इंजन की सरकार में भी अफसरशाही बेलगाम है? या फिर क्या विपक्ष इस नई सत्ता को बदनाम करने की कोशिश में है ?
पहला विवाद: निर्माणाधीन नाली की धंसकन
कांकेर में एक निर्माणाधीन नाली के अचानक धंसकने की घटना ने सबसे पहले नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। विपक्षी कांग्रेस ने इसे “ठेकेदार-प्रशासन गठजोड़” का नतीजा बताया।
दूसरा विवाद: पार्षद को धमकी ?
अब जो मामला तूल पकड़ रहा है, वह कहीं अधिक संवेदनशील है। सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट में यह आरोप लगाया गया है कि नगर पालिका के एक अधिकारी (सब इंजीनियर) ने भाजपा पार्षद को “पार्षदी घुसाड़” जैसे शब्द कहे और अपमानजनक भाषा में धमकी दी। यह मामला सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक गरिमा और जनप्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा हुआ है।
भाजपा की प्रतिक्रिया
जब Page 16 News ने पालिकाध्यक्ष से संपर्क किया तो उन्होंने कहा:
“यह विवाद 10 दिन पुराना है और उस समय की एक साधारण गलतफहमी थी जिसे आपस में सुलझा लिया गया था। लेकिन अब कांग्रेस इसे राजनीतिक रंग देकर अफवाह फैला रही है।”
कांग्रेस का आरोप
वहीं कांग्रेस नेता का दावा है कि यह कोई सामान्य बहस नहीं, बल्कि एक जनप्रतिनिधि का अपमान है।
“24 अप्रैल की आवास आबंटन बैठक में 21 पार्षद उपस्थित थे, और भाजपा पार्षद अपनी बात रख रहे थे। उसी दौरान सब इंजीनियर ने उन्हें ‘पार्षदी घुसाड़’ जैसे अपमानजनक शब्द कहे। यह लोकतंत्र का अपमान है और दोषी अधिकारी पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।”
ट्रिपल इंजन बनाम अफसरशाही
भाजपा की ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ की बात करें तो केंद्र, राज्य और नगर पालिका — तीनों में सत्ता एक ही पार्टी के पास है। ऐसे में एक अफसर द्वारा किसी पार्षद के साथ बदसलूकी की घटना सामने आना, सरकार की जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
क्या एक सब इंजीनियर इतने बड़े बयान की हिम्मत अकेले कर सकता है?
पार्षद की चुप्पी क्यों ?
Page 16 News ने जब खुद भाजपा पार्षद से इस मुद्दे पर बात करनी चाही, तो उन्होंने “बैठक में व्यस्त” होने की बात कहते हुए कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उनकी चुप्पी भी अब चर्चा का विषय बनती जा रही है। कांकेर नगर पालिका में भाजपा की सत्ता एक नई उम्मीद के साथ शुरू हुई थी, लेकिन यदि शुरुआती महीनों में ही अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के बीच विश्वास की खाई बनती है, तो विकास का सपना अधूरा रह सकता है।
यह जरूरी है कि सच्चाई सामने आए चाहे वह अधिकारी की अनुशासनहीनता हो या विपक्ष की साजिश। जनता ने भरोसा दिया है, अब भाजपा को यह दिखाना होगा कि “ट्रिपल इंजन” सिर्फ नारा नहीं, परिणाम देने वाली शक्ति भी है।
जरूरी सवाल:
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क्या पालिका अधिकारी पर कार्रवाई होगी?
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क्या सोशल मीडिया में वायरल पोस्ट महज राजनीतिक चाल है?
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क्या कांग्रेस को सत्ता छिनने का गुस्सा है या सच में एक जनप्रतिनिधि का अपमान हुआ है?
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