मरणासन्न मनोरोगी को मिला जीवनदान
कांकेर:- एक बार फिर संवेदनशीलता और सेवा भावना का प्रेरक उदाहरण सामने आया है। सुप्रसिद्ध सामाजिक संस्था जन सहयोग की त्वरित और मानवीय पहल से एक मरणासन्न अवस्था में पड़े मनोरोगी वृद्ध को नया जीवन मिला। यह घटना न केवल एक जान बचाने की कहानी है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीय सहयोग की जीवंत मिसाल भी है।
ग्राम गढ़ पिछवाड़ी निवासी गुरुजी रामशरण जैन ने संस्था जन सहयोग के अध्यक्ष अजय पप्पू मोटवानी को सूचना दी कि कृषि विज्ञान केंद्र के पास एक वृद्ध व्यक्ति बेहद नाजुक हालत में भूखा-प्यासा बेसुध पड़ा है। यह भी आशंका जताई गई कि समय पर मदद नहीं मिलने से उसकी मृत्यु हो सकती है।
सूचना मिलते ही अजय पप्पू मोटवानी ने बिना देर किए पुलिस पेट्रोलिंग पार्टी और कोमलदेव अस्पताल को सूचना दी। इसके बाद अपनी टीम के साथ वे स्वयं घटनास्थल पर पहुंचे और वृद्ध को तत्काल अस्पताल पहुंचवाया।
कोमलदेव अस्पताल में तैनात डॉ. प्रीति पैकरा एवं मेडिकल टीम ने वृद्ध की स्थिति को गंभीरता से लेते हुए बिना देर किए प्राथमिक उपचार शुरू किया। फिलहाल मरीज की स्थिति स्थिर है लेकिन अत्यधिक कमजोरी के कारण वह ठीक से बोल नहीं पा रहा। कभी सरोना तो कभी धमतरी जैसे नाम उसके मुंह से सुने गए हैं, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वह इन क्षेत्रों से संबंधित हो सकता है।
यदि कोई व्यक्ति इस मनोरोगी वृद्ध को पहचानता है या उसके परिवार का कोई सदस्य है, तो कृपया कोमलदेव अस्पताल कांकेर से संपर्क करें। एक पहचान की उम्मीद उसकी पूर्ण पुनर्वास की दिशा में बड़ा कदम हो सकती है।
इस सेवा कार्य में अहम भूमिका निभाने वालों में जन सहयोग के अध्यक्ष अजय पप्पू मोटवानी, करण नेताम, कांकेर पुलिस विभाग से प्रवीण ठाकुर एवं धनेश ध्रुव (कांस्टेबल) शामिल रहे, जिन्होंने तत्परता और संवेदनशीलता का परिचय दिया।
जन सहयोग और अस्पताल स्टाफ की त्वरित प्रतिक्रिया और समर्पण को लेकर शहरवासियों में प्रसन्नता और गर्व की भावना देखी जा रही है। जहां आज के दौर में उपेक्षा आम बात बनती जा रही है, वहीं ऐसी घटनाएं मानवता में विश्वास को मजबूती देती हैं।
Page16 ऐसे हर उस पहल की सराहना करता है, जो इंसानियत को जीवित रखती है। यह घटना बताती है कि जब समाज संवेदनशील हो और संस्थाएं सजग, तो हर बेबस को सहारा और हर जीवन को आश्रय मिल सकता है।
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